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Showing posts from April, 2018

प्रतिपगमन का अर्थ

प्रतिपगमन का अर्थ प्रतिपगमन शब्द का शाब्दिक अर्थ हे पीछे की और मुड़ना या घुमना अथवा वापस लोटना प्रतिपगमन का आशय उस सांखिकीय यंत्र से लगाया जाना चाहिए जिसके प्रयोग से एक दिए हुए चर मूल्य के आधार पर दुसरे अज्ञात चर मूल्य का अनुमान लगाया जा सके इस प्रकार प्रतिपगमन दो चर मूल्यों के माध्य ओसत सम्बन्ध प्रदर्शित करता हे जिससे की अनुमान लगाना सम्भव होता हे सांखिकीय में प्रतिपगमन  शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सर फ़्रांसिस गाल्टन नामक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ने अपने शोध लेख पेत्रक  उचाई में मध्यस्रता की और प्रतिपगमन में किया था इस शोध लेख में एक हजार पिताओ तथा उनके पुत्रो के कद के अध्यन के आधार  पर उन्होंने यह महत्वपूर्ण निष्कर्स निकला की यधपि पिता पुत्रो की उचाई में परस्पर घनिष्ठ सह समबन्ध  था फिर भी सामान्य माध्य से दोनों के विचलनो में काफी अंतर पाया जाता था समस्त जाती की माध्य उचाई से पिताओ की उचाई के विचलनो की अपेछा पुत्रो की उचाई के विचलन कम थे आधुनिक सांखिकीय में प्रतिपगमन की धारणा केवल पित्रग्त विशेषताओ के अध्यन तक ही सिमित नही हे अपितु इसका प्रयोग उन सभी छेत्रो में किया जाता ...

प्राथमिक समंक का आशय

प्राथमिक समंक का आशय प्राथमिक समंक अनुसंधानकर्ता नये रूप में प्रथम बार एकत्र करता हे इसमें सारी संकलन योजना आरम्भ से अंत तक नवीन होती हे इसी कारण इसके द्वारा अनुसन्धान मोलिक होता हे उदाहरणर्थ देश में ओधयोगिक श्रमिको के जीवन स्तर के बारे में यदि कोई अनुसन्धानकर्ता नये सिरे से मोलिक रूप में समंक एकत्र करता हे तो वे समंक उसके लिए प्राथमिक समंक कहलावेंगे 

प्रतीपगमन समीकरण को समझाइए

प्रतीपगमन समीकरण को समझाइए प्रतिपगमन समीकरण प्रतिपगमन रेखाओ के बीजगणितय ढंग पर वर्णन की रीती हे रेखाओ की भाति समीकरण भी दो होते हे प्रतिपगमन समीकरण दो समंक मालाओ के समांतर मध्यो के समबन्ध में एक श्रेणी में उसके माध्य से विचलन तथा दूसरी श्रेणी के माध्य से उसके विचरण की तुलना को प्रकट करते हे प्रतिपगमन समीकरण प्रतिपगमन रेखाओ को व्यक्त करते हे जिस प्रकार x की y पर प्रतीपगमन रेखा y के दिए हुए मूल्यों के लिये अति सम्भावित x के मूल्यों का प्रदर्शन करती हे और इसी भाँती y की x पर प्रतीपगमन रेखा x के दिए हुए मूल्यों के समकक्ष y के मूल्य बनाती हे इसी प्रकार x का y पर प्रतीपगमन समीकरण y के मूल्यों में विचरण को प्रकट करता हे जो x में परिवर्तन होने पर अपेछित  होंगे     

सहसंबंध का महत्व

सहसंबंध का महत्व 1 यह आर्थिक व्यवहारों को समझने में सहायक होता हे 2 यह परस्पर सम्बन्धित चरो की खोज सम्भव बनता हे 3 यह अस्पस्ट सुझावों को स्पस्ट करता तथा ऐसे उपाय खोज निकलता हे जिनसे स्थिरता लाने वाली शक्तिया प्रभावित हो 4 यह प्रतिप गमन तथा विचरण अनुपात की माप के विचार को ठोस आधार प्रदान करता हे 5 यह पूर्वानुमान को अधिक विस्वसनीय बनाकर वास्तविकता के निकट लाता हे 

सहसंबंध एवं गुण सम्बन्ध में अंतर

सहसंबंध एवं गुण सम्बन्ध में अंतर १ सहसंबंध को संख्यात्मक समंको वाली श्रेणियों में सम्बन्ध ज्ञात करने  के लिए प्रयोग करते हे २ सहसंबंध के लिए चल समंको का अध्यन करते हे इसके विपरीत गुण सम्बन्ध के लिए श्रेणियों या समंको के गुणों के आधार पर अध्यन करते हे ३ सहसंबंध में दो या उससे अधिक श्रेणियों में एक दुसरे के परिवर्तनों का अध्यन उन परिवर्तनों का आपस में समबन्ध हे या नही और हे तो कितना आदि का अध्यन करते हे ४ गुण सम्बन्धो की सार्थकता कई वर्ग जाच द्वारा की जा सकती हे जबकि सहसंबंध की सार्थकता की जाच सम्भाव्य विभ्रम प्रमाप त्रुटी तथा फिशर के जेड रूपांतरण द्वारा हो सकती हे ५   गुण सम्बन्ध आंशिक तथा पूर्ण हो सकता हे सहसंबंध सरल बहुगुणी तथा आंशिक हो सकता  

सहसंबंध एवं प्रतिगमन में अंतर

सहसंबंध  एवं प्रतिगमन में अंतर  १ सम्बन्ध की मात्रा एवं प्रक्रति का अंतर =  सहसंबंध विश्लेषण के द्वारा दो चरो के मध्य सम्बन्ध की मात्रा का आभास होता हे जबकि प्रतिगमन विश्लेषण से सम्बन्ध की प्रक्रति का पता चलता हे इसके द्वारा इस बात का पता चलता हे की चर के ओसत मूल के आधार उससे सम्बन्धित दुसरे चर का ओसत मूल्य कितना होगा  २  कारण परिणाम सम्बन्ध = चर मूल्यों में कारण परिणाम सम्बन्धो को सहसंबंध अधिक स्पष्ट करता परन्तु दोनों में कोन सा कारण और कोन सा परिणाम हे यह सहसंबंध से मालूम नही पड़ता इसके विपरीत प्रतिप गमन विशलेषण एक चर को स्वतंत्र मानकर दुसरे आश्रीत का मूल्य ज्ञात किया जाता हे इस प्रकार स्वतंत्र चर कारण हे और आश्रीत परिणाम  

अपकिरण से क्या आशय हे

अपकिरण से क्या आशय हे  केवल माध्य को ज्ञात करके हम समंक माला के बारे में सही जानकारी नही प्राप्त कर सकते माध्य के साथ साथ आवर्ती वितरण के आकर का ज्ञान भी सही परिणाम पर पहुचने जे लिए आवश्यक हे अर्थार्त यह जानना आवश्यक हे की पद माला का प्रत्येक पद माध्य से कितनी दुरी पर हे या कितना बड़ा या छोटा हे की विच्लन की दुरी पर फेलाव या बिखराव या विस्तार को ही अपकिरण कहते हे 

विशिष्ट चर से क्या आशय हे

विशिष्ट चर से क्या आशय हे  वह राशी जिसका मूल्य किन्ही गनित्य संक्रियाओ के अंतर्ग्रत समान न रहे वर् न भिन्न भिन्न मूल्य ग्रहण करे चर कहलाती हे सामान्यत इसे x y z से प्रदर्शित किया जाता हे जब दो चर राशिय किसी तीसरे चर राशी पर निर्भर करती हे तो वह विशिष्ट चर कहलाती हे जेसे एक वस्तु की मांग और पूर्ति उसकी कीमत पर निर्भर करती हे यहा मांग और पूर्ति प्रथम दो चर राशी हे जो तीसरे चर अर्थार्थ कीमत पर निर्भर हे अत कीमत को विशिष्ट चर कहा जायेगा 

मध्यका की परिभाषा तथा गुण दोष

मध्यका की परिभाषा परिभाषा = मध्यका समंक श्रेणी का वह चर मूल्य हे जो समूह को दो बराबर भागो में इस प्रकार विभाजित करता हे की एक भाग के समस्त मूल्य मध्यका से अधिक और दुसरे भाग के समस्त मूल्य मध्यका से कम होते हे मध्यका के गुण = निरीक्षण मात्र से ज्ञान होना २ = सरल गणना ३=असमान व्र्गान्त्र एवं अपूर्ण तथ्यों के होने पर भी ज्ञात हो सकना ४ बिन्दुरेखीय प्रदर्शन से भी ज्ञात करना सम्भव ५ = अतिसिमांत पदों से अप्रभावित ६= निश्चितता ७= मध्यका का मूल्य प्राय समंक श्रेणी में विधमान पदों में से होना ८= गुणात्मक सामग्री होने पर भी उपयुक्त ९= कभी कभी समान्तर माध्य से भी श्रेष्ठतर प्रतिनिधित्व मध्यका के दोष = आरोही व् अवरोही क्रम में श्रेणी का अनुविन्यास आवश्यक २= मूल्यों का अनियमित वितरण होने पर समंक श्रेणी के उचित प्रतिनिधित्व का आभाव ३= बीजगणित विवेचन के लिए अनुपयुक्त ४= पदों की संख्या सम होने पर मध्यका वास्तविक प्रदर्शित नही करती ५ = पदों की संख्या में मध्यका का गुणा करने पर गुणनफल पदों के योग के बराबर नही होते ६ = पदों की संख्या कम होने पर निर्धारण सही नही होता 
अर्थशास्त्र में सांख्यकीय की क्या उपयोगिता  हे  अर्थशास्त्र और सांख्यकीय के बिच सम्बन्ध का उल्लेख सत्रहवी  शताब्दी के अंत में विलियम पेटी  ने अपनी पुस्तक पोलिटिकल अर्थमेटिक  में किया था आज अर्थशास्त्र  की प्रत्येक शाखा में संख्कीय का प्रयोग किया जा रहा हे  उपभोग से सम्ब्दित समंको से विभिन्न आय वर्ग के लोगो की व्यय की प्रर्व्रती का ज्ञान होता हे जिससे इन 

माध्य विचलन के गुण एवं दोषों की व्यख्या

माध्य विचलन के गुण दोषो की व्यख्या माध्य विचलन श्रेणी के सभी विचलनो का माध्य हे श्रेणी के किसी संख्कीय माध्य से निकाले गये विभिन्न मूल्यों के विचलनो का समान्तर माध्य विचलन कहलाता हे मूल्यों का विचलन निकालते समय बिजगणितीय चिन्ह (+तथा -) को छोड़ दिया जाता हे सब विचलन धनात्मक (+) मान लिए जाते हे माध्य विचलन समान्तर माध्य मध्यका या भुयिष्ट्क में से किसी एक से निकाला जा   सकता हे व्यवहार में मध्यका को ही महत्ता दी जानी चाहिए माध्य विचलन के गुण 1    यह विचलन पदमला के सभी मूल्यों पर आधारित होता हे इससे श्रेणी की बनावट की ठीक जानकारी प्राप्त हो जाती हे 2 माध्य विचलन पर चरम या अति सीमांत पदों का कम प्रभाव पड़ता हे 3 इसकी गणना करना सरल हे और यह आसानी से समझ में आ जाता हे 4 माध्य विचलन मध्यक या भुयिष्ट्ककिसी भी माध्य से निकाला जा सकता हे दोष = माध्य विचलन में सभी पदों को धनात्मक मान लेते हे इसे निकालने में बीजगणितचिन्ह  (+ व -) को छोड़ दिया जाता हे आतः यह बीजगणित द्रष्टिकोण से अशुध्य एवं अवेज्ञनिक हे २ यह एक अनिश्चित माप हे क्योकि समांतर माध्य का व् भुयिष्ट्क के अनि...

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Rashi Fein began his service to the United States during World War II, in the United States Navy. [11]  He spent much of his time after that thinking and writing about health care reform. He was a member of the Truman Commission on the Health Care Needs of the Nation, which as early as 1952 had supported national health insurance and regionalization of health care delivery. Later, he served on President John F. Kennedy’s Council of Economic Advisors as a senior staff member (1961-1963). There, he helped to develop the initial legislation for  Medicare , a healthcare model he continued to advocate throughout his life. [12] [13]  Professor Fein had also served on the Board of the Committee for National Health Insurance under the leadership of former  United Auto Workers  President  Douglas Fraser  and under  Walter Reuther  on a Board investigating  malnutrition  in the Unit...

इकोनोमिक्स में शाह्संबंध

प्राय यह देखा जाता हे की जब किसी वस्तु की मांग बढती तब उसके मूल्य में भी वृधि होने लगती हे वर्षा अधिक होने पर कृषि उत्पादन भी बढ़ता हे देश में मुद्रा की मात्रा बढ़ने से वस्तुओ के मूल्य भी बढ़ने लगते हे इससे उत्पादन भी देश में मुद्रा की मात्रा बड़ने से वस्तुओ के मूल्य भी बदने लगते हे इससे ज्ञात होता हे की मांग और उसके मूल्य अच्छी वर्षा और उत्पाद मुद्रा की मात्रा और वस्तुओ के मूल्य आदि में कुछ सम्बंद हे.

राशी फेन ने संयुक्त राज्य

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राशी फेन ने संयुक्त राज्य अमेरिका में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका नौसेना में अपनी सेवा शुरू की। वह सोचने और स्वास्थ्य देखभाल सुधार के बारे में लिखने के बाद अपना अधिक समय बिताया। वह राष्ट्र की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं पर ट्रूमैन कमीशन के सदस्य थे, जो कि 1 9 52 के आरंभ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा और स्वास्थ्य देखभाल वितरण के क्षेत्रीयीकरण का समर्थन करता था। बाद में, उन्होंने एक वरिष्ठ स्टाफ सदस्य (1 961-19 63) के रूप में राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की आर्थिक सलाहकार परिषद की सेवा की। वहां, उन्होंने मेडिकार के लिए प्रारंभिक कानून विकसित करने में मदद की, एक स्वास्थ्य सेवा मॉडल वह अपने जीवन भर में वकालत करना जारी रखा। प्रोफेसर फैइन ने पूर्व संयुक्त ऑटो वर्कर्स अध्यक्ष डगलस फ्रेजर और वाल्टर रियथर के नेतृत्व में संयुक्त राज्य अमेरिका में कुपोषण की जांच करने वाले बोर्ड पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा के लिए समिति के बोर्ड पर भी कार्य किया था। वह चिकित्सा संस्थान के एक चार्टर सदस्य थे (आईओएम) ने मेडिकल अर्थशास्त्र में सेवा के लिए कई सम्मान प्राप्त किए, और कई गैर-लाभक...