मध्यका की परिभाषा तथा गुण दोष
मध्यका की परिभाषा
परिभाषा = मध्यका समंक श्रेणी का वह चर मूल्य हे जो समूह को दो बराबर भागो में इस प्रकार विभाजित करता हे की एक भाग के समस्त मूल्य मध्यका से अधिक और दुसरे भाग के समस्त मूल्य मध्यका से कम होते हे
मध्यका के गुण = निरीक्षण मात्र से ज्ञान होना
२ = सरल गणना
३=असमान व्र्गान्त्र एवं अपूर्ण तथ्यों के होने पर भी ज्ञात हो सकना
४ बिन्दुरेखीय प्रदर्शन से भी ज्ञात करना सम्भव
५ = अतिसिमांत पदों से अप्रभावित
६= निश्चितता
७= मध्यका का मूल्य प्राय समंक श्रेणी में विधमान पदों में से होना
८= गुणात्मक सामग्री होने पर भी उपयुक्त
९= कभी कभी समान्तर माध्य से भी श्रेष्ठतर प्रतिनिधित्व
मध्यका के दोष = आरोही व् अवरोही क्रम में श्रेणी का अनुविन्यास आवश्यक
२= मूल्यों का अनियमित वितरण होने पर समंक श्रेणी के उचित प्रतिनिधित्व का आभाव
३= बीजगणित विवेचन के लिए अनुपयुक्त
४= पदों की संख्या सम होने पर मध्यका वास्तविक प्रदर्शित नही करती
५ = पदों की संख्या में मध्यका का गुणा करने पर गुणनफल पदों के योग के बराबर नही होते
६ = पदों की संख्या कम होने पर निर्धारण सही नही होता
परिभाषा = मध्यका समंक श्रेणी का वह चर मूल्य हे जो समूह को दो बराबर भागो में इस प्रकार विभाजित करता हे की एक भाग के समस्त मूल्य मध्यका से अधिक और दुसरे भाग के समस्त मूल्य मध्यका से कम होते हे
मध्यका के गुण = निरीक्षण मात्र से ज्ञान होना
२ = सरल गणना
३=असमान व्र्गान्त्र एवं अपूर्ण तथ्यों के होने पर भी ज्ञात हो सकना
४ बिन्दुरेखीय प्रदर्शन से भी ज्ञात करना सम्भव
५ = अतिसिमांत पदों से अप्रभावित
६= निश्चितता
७= मध्यका का मूल्य प्राय समंक श्रेणी में विधमान पदों में से होना
८= गुणात्मक सामग्री होने पर भी उपयुक्त
९= कभी कभी समान्तर माध्य से भी श्रेष्ठतर प्रतिनिधित्व
मध्यका के दोष = आरोही व् अवरोही क्रम में श्रेणी का अनुविन्यास आवश्यक
२= मूल्यों का अनियमित वितरण होने पर समंक श्रेणी के उचित प्रतिनिधित्व का आभाव
३= बीजगणित विवेचन के लिए अनुपयुक्त
४= पदों की संख्या सम होने पर मध्यका वास्तविक प्रदर्शित नही करती
५ = पदों की संख्या में मध्यका का गुणा करने पर गुणनफल पदों के योग के बराबर नही होते
६ = पदों की संख्या कम होने पर निर्धारण सही नही होता
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