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प्रतिपगमन का अर्थ

प्रतिपगमन का अर्थ प्रतिपगमन शब्द का शाब्दिक अर्थ हे पीछे की और मुड़ना या घुमना अथवा वापस लोटना प्रतिपगमन का आशय उस सांखिकीय यंत्र से लगाया जाना चाहिए जिसके प्रयोग से एक दिए हुए चर मूल्य के आधार पर दुसरे अज्ञात चर मूल्य का अनुमान लगाया जा सके इस प्रकार प्रतिपगमन दो चर मूल्यों के माध्य ओसत सम्बन्ध प्रदर्शित करता हे जिससे की अनुमान लगाना सम्भव होता हे सांखिकीय में प्रतिपगमन  शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सर फ़्रांसिस गाल्टन नामक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ने अपने शोध लेख पेत्रक  उचाई में मध्यस्रता की और प्रतिपगमन में किया था इस शोध लेख में एक हजार पिताओ तथा उनके पुत्रो के कद के अध्यन के आधार  पर उन्होंने यह महत्वपूर्ण निष्कर्स निकला की यधपि पिता पुत्रो की उचाई में परस्पर घनिष्ठ सह समबन्ध  था फिर भी सामान्य माध्य से दोनों के विचलनो में काफी अंतर पाया जाता था समस्त जाती की माध्य उचाई से पिताओ की उचाई के विचलनो की अपेछा पुत्रो की उचाई के विचलन कम थे आधुनिक सांखिकीय में प्रतिपगमन की धारणा केवल पित्रग्त विशेषताओ के अध्यन तक ही सिमित नही हे अपितु इसका प्रयोग उन सभी छेत्रो में किया जाता ...

प्राथमिक समंक का आशय

प्राथमिक समंक का आशय प्राथमिक समंक अनुसंधानकर्ता नये रूप में प्रथम बार एकत्र करता हे इसमें सारी संकलन योजना आरम्भ से अंत तक नवीन होती हे इसी कारण इसके द्वारा अनुसन्धान मोलिक होता हे उदाहरणर्थ देश में ओधयोगिक श्रमिको के जीवन स्तर के बारे में यदि कोई अनुसन्धानकर्ता नये सिरे से मोलिक रूप में समंक एकत्र करता हे तो वे समंक उसके लिए प्राथमिक समंक कहलावेंगे 

प्रतीपगमन समीकरण को समझाइए

प्रतीपगमन समीकरण को समझाइए प्रतिपगमन समीकरण प्रतिपगमन रेखाओ के बीजगणितय ढंग पर वर्णन की रीती हे रेखाओ की भाति समीकरण भी दो होते हे प्रतिपगमन समीकरण दो समंक मालाओ के समांतर मध्यो के समबन्ध में एक श्रेणी में उसके माध्य से विचलन तथा दूसरी श्रेणी के माध्य से उसके विचरण की तुलना को प्रकट करते हे प्रतिपगमन समीकरण प्रतिपगमन रेखाओ को व्यक्त करते हे जिस प्रकार x की y पर प्रतीपगमन रेखा y के दिए हुए मूल्यों के लिये अति सम्भावित x के मूल्यों का प्रदर्शन करती हे और इसी भाँती y की x पर प्रतीपगमन रेखा x के दिए हुए मूल्यों के समकक्ष y के मूल्य बनाती हे इसी प्रकार x का y पर प्रतीपगमन समीकरण y के मूल्यों में विचरण को प्रकट करता हे जो x में परिवर्तन होने पर अपेछित  होंगे     

सहसंबंध का महत्व

सहसंबंध का महत्व 1 यह आर्थिक व्यवहारों को समझने में सहायक होता हे 2 यह परस्पर सम्बन्धित चरो की खोज सम्भव बनता हे 3 यह अस्पस्ट सुझावों को स्पस्ट करता तथा ऐसे उपाय खोज निकलता हे जिनसे स्थिरता लाने वाली शक्तिया प्रभावित हो 4 यह प्रतिप गमन तथा विचरण अनुपात की माप के विचार को ठोस आधार प्रदान करता हे 5 यह पूर्वानुमान को अधिक विस्वसनीय बनाकर वास्तविकता के निकट लाता हे 

सहसंबंध एवं गुण सम्बन्ध में अंतर

सहसंबंध एवं गुण सम्बन्ध में अंतर १ सहसंबंध को संख्यात्मक समंको वाली श्रेणियों में सम्बन्ध ज्ञात करने  के लिए प्रयोग करते हे २ सहसंबंध के लिए चल समंको का अध्यन करते हे इसके विपरीत गुण सम्बन्ध के लिए श्रेणियों या समंको के गुणों के आधार पर अध्यन करते हे ३ सहसंबंध में दो या उससे अधिक श्रेणियों में एक दुसरे के परिवर्तनों का अध्यन उन परिवर्तनों का आपस में समबन्ध हे या नही और हे तो कितना आदि का अध्यन करते हे ४ गुण सम्बन्धो की सार्थकता कई वर्ग जाच द्वारा की जा सकती हे जबकि सहसंबंध की सार्थकता की जाच सम्भाव्य विभ्रम प्रमाप त्रुटी तथा फिशर के जेड रूपांतरण द्वारा हो सकती हे ५   गुण सम्बन्ध आंशिक तथा पूर्ण हो सकता हे सहसंबंध सरल बहुगुणी तथा आंशिक हो सकता  

सहसंबंध एवं प्रतिगमन में अंतर

सहसंबंध  एवं प्रतिगमन में अंतर  १ सम्बन्ध की मात्रा एवं प्रक्रति का अंतर =  सहसंबंध विश्लेषण के द्वारा दो चरो के मध्य सम्बन्ध की मात्रा का आभास होता हे जबकि प्रतिगमन विश्लेषण से सम्बन्ध की प्रक्रति का पता चलता हे इसके द्वारा इस बात का पता चलता हे की चर के ओसत मूल के आधार उससे सम्बन्धित दुसरे चर का ओसत मूल्य कितना होगा  २  कारण परिणाम सम्बन्ध = चर मूल्यों में कारण परिणाम सम्बन्धो को सहसंबंध अधिक स्पष्ट करता परन्तु दोनों में कोन सा कारण और कोन सा परिणाम हे यह सहसंबंध से मालूम नही पड़ता इसके विपरीत प्रतिप गमन विशलेषण एक चर को स्वतंत्र मानकर दुसरे आश्रीत का मूल्य ज्ञात किया जाता हे इस प्रकार स्वतंत्र चर कारण हे और आश्रीत परिणाम  

अपकिरण से क्या आशय हे

अपकिरण से क्या आशय हे  केवल माध्य को ज्ञात करके हम समंक माला के बारे में सही जानकारी नही प्राप्त कर सकते माध्य के साथ साथ आवर्ती वितरण के आकर का ज्ञान भी सही परिणाम पर पहुचने जे लिए आवश्यक हे अर्थार्त यह जानना आवश्यक हे की पद माला का प्रत्येक पद माध्य से कितनी दुरी पर हे या कितना बड़ा या छोटा हे की विच्लन की दुरी पर फेलाव या बिखराव या विस्तार को ही अपकिरण कहते हे